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lal kitab 1952 page 56

और जो निशान राशि का है वह राशी का दिया हुआ असर या जिस्म या वजूद होगा, इस तरह पर जब किसी बुर्ज का निशान किसी दुसरे ग्रह के घर में पाया जाये, तो कहेंगे कि वह ग्रह दूसरे ग्रह ले घर में चला गया है | मिसाल के तौर पर अगर सूरज का सितारा चन्द्र के बुर्ज पर वाकै हो, तो चन्द्र के घर में सूरज आया हुआ गिना जायेगा या अगर यही सूरज का सितारा शुक्र के बुर्ज पर हो तो सूरज को शुक्र के घर का मेहमान कहेंगे | अब सूरज और शुक्र का या सूरज और चन्द्र का जो आपस में ताल्लुक है वही असर होगा | इसी तरह से हर राशी के निशान का असर लेंगे |

यह जरूरी नहीं कि हर एक राशी का निशान ऊँगली की उसी पोरी पर वाकै हो जहाँ कि उस राशी का मुकाम मुकर्रर है, लेकिन अगर निशान अपनी मुकर्रर जगह पर ही होवे तो वह आदमी उसी राशी का होगा और अगर कोई भी निशान राशी का न पाया जाये तो हैरानी की बात नहीं ग्रहों या बुर्जों से पता चल जाएगा | फरमान नंबर 8 12 पक्के घर प्राचीन ज्योतिष के मुताबिक जन्म कुंडली बन चुकी | उसमें दिए हुए तमाम के तमाम हिन्दसे (अंक) मिटा दिए, मगर ग्रह जहाँ-जहाँ उसमे लिखे थे वहां-वहां ही लिखे रहने दिए और फिर लगन के घर को हिन्दसा (अंक) नंबर 1 दिया गया और 12 ही घरों को तरतीबवार 1 से लेकर 12 तक हिन्दसे (अंक) लिख दिए | अब यह घर लग्न को 1 गिनकर फलादेश देखने के लिए हमेशा के लिए ही मुकर्रर नंबर के हो गये और इस इल्म (विधा) में 12 पक्के घर कहलाये | लाल किताब पन्ना नंबर 56



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